किताबों के पन्नों को पलट के सोचता हूँ,
यूँ पलट जाए ज़िन्दगी तो क्या बात हो!
ख्वाबो में रोज़ मिलता है जो,
हकीकत में मिल जाए तो क्या बात हो!
कुछ मतलब के लिए ढूँढते है मुझको,
बिन मतलब जो आए तो क्या बात हो!
कत्ल करके तो सब ले जाएँगे दिल मेरा,
कोई बातों से ले जा तो क्या बात हो!
जो शरीफों कि शराफत में बात न हो,
एक शराबी कह जाए तो क्या बात हो!
अपने रहने तक तो खुशी दूंगा सबको,
जो किसी को मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात हो!!!
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 वर्ष पहले
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