ज़िन्दगी फिर से नही ख़ुद को दोहराएगी (Zindagi Phir se nahi Khud ko Dohraegi)

एक दिन ज़िन्दगी ऐसे मुकाम पर आ जाएगी...
दोस्ती तो सिर्फ़ यादों में ही रह जाएगी...

हर कप काफ़ी याद दोस्तों की दिलाएगी...
और हस्ते-हस्ते फ़िर आँखें नम हो जायेंगी...

ऑफिस के चैंबर में क्लास रूम नज़र आएगी...
पर चाहने पर भी प्रॉक्सी नही लग पाएगी...

पैसे तो शायद बहुत होंगे ,
पर उन्हें लुटाने की चाहत ही खो जाएगी...

जी लो इस पल को मेरे दोस्तों,
कि ज़िन्दगी फिर से नही ख़ुद को दोहराएगी...

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