मुश्किल है अपना मेल प्रिये (Mushkil hai Apna Mail Priye)




मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम ऍम ऐ फर्स्ट डिविजन हो, मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम फौजी अफसर की बेटी , मैं तो किसान का बेटा हूँ
तुम रबडी खीर मलाई हो, मै तो सत्तू सपरेटा हूँ
तुम ऐ-सी घर में रहती हो, मैं पेड के नीचे लेटा हूँ
तुम नई मारुती लगती हो, मै स्कूटर लम्ब्रेटा हूँ
इस कदर अगर हम छुप छुप कर, आपस में प्यार बढ़ाएँगे
तो एक रोज तेरे डेडी, अमरीश पुरी बन जाएँगे

सब हड्डी पसली तोड़ मुझे वो भिजव देंगे जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये
तुम दीवाली का बोनस हो, मै भूखों की हड़ताल प्रिये
तुम हीरे जडी तश्तरी हो, मैं एल्युमिनिअम का थाल प्रिये
तुम चिकन सूप बिरयानी हो, मैं कंकड वाली दाल प्रिये
तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, मै हू कछुए की चाल प्रिये
तुम चंदन वन की लकड़ी हो, मैं हू बबूल की छाल प्रिये

मै पके आम सा लटका हूँ मत मारो मुझे गुलेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

मै शनी देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कन्चन काया हो
मै तन से मन से कांशी राम, तुम महा चंचला माया हो
तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ
तुम राज घाट का शांति मार्च, मै हिन्दू मुस्लिम दंगा हूँ
तुम हो पूनम का ताजमहल, मै काली गुफा अजन्ता की
तुम हो वरदान विधाता का, मैं गलती हूँ भगवंता की

तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलमठेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम नई विदेशी मिक्सी हो, मै पत्थर का सिलबट्टा हूँ
तुम ए. के. सैतालिस जैसी, मैं तो एक देसी कट्टा हूँ
तुम चतुर राबडी देवी सी, मै भोला भाला लालू हूँ
तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मै चिड़िया घर का भालू हूँ
तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं वीपी सिंह सा खाली हूँ
तुम हँसी माधुरी दीक्षित की, मैं हवलदार की गाली हूँ

कल जेल अगर हो जाये तो, दिलवा देना तुम ‘बेल’ प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

मैं ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पाँच सितार होटल हो
मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम ‘रेड लेबल’ की बोतल हो
तुम चित्रहार का मधुर गीत, मै कृषि दर्शन की झाड़ी हूँ
तुम विश्व सुन्दरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाड़ी हूँ
तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला चोगा
तुम मछली मनसरोवर की, मैं हूँ सागर तट का घोंघा

दस मंजिल से गिर जाऊँगा, मत आगे मुझे धकेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम सत्ता की महारानी हो, मैं विपक्ष की लचारी हूँ
तुम हो ममता, जयललिता सी, मैं कुआँरा अटल बिहारी हूँ
तुम तेंदुलकर का शतक प्रिये, मैं फालो-ऑन की पारी हूँ
तुम गेट्ज, मारुती , सैंट्रो हो, मैं लेलैंड की लारी हूँ

मुझको रेफ्री ही रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये……

--अज्ञात

अग्नि पथ !! (Agni Path)


अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

वृक्ष हों भले खड़े,
हो घने, हो बड़े,
एक पत्र-छॉंह भी मॉंग मत, मॉंग मत, मॉंग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!

ये महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत् रक्त से,
लथ पथ, लथ पथ, लथ पथ !
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

--हरिवंशराय बच्चन

परिन्दे को क्या पता (Parinde Ko Kya Pata)


बदनीयतों की चाल, परिन्दे को क्या पता
फैला कहाँ है जाल, परिन्दे को क्या पता

लोगों के, कुछ लज़ीज़, निवालों के वास्ते
उसकी खिंचेगी खाल, परिन्दे को क्या पता

इक रोज़ फिर उड़ेगा कि मर जाएगा घुटकर
इतना कठिन सवाल, परिन्दे को क्या पता

पिंजरा तो तोड़ डाला था, पर था नसीब में
उससे भी बुरा हाल, परिन्दे को क्या पता

देखा है जब से एक कटा पेड़ कहीं पर
है क्यूं उसे मलाल, परिन्दे को क्या पता

उड़ कर हजारों मील इसी झील किनारे
क्यूं आता है हर साल, परिन्दे को क्या पता

एक-एक कर के सूखते ही जा रहे हैं क्यों
सब झील नदी ताल, परिन्दे को क्या पता