कहाँ गये वो, दोस्त जो हरदम याद किया करते थे.(Kahan Gaye Wo Dost Jo hardam Yaad Kiya Karte The)

कहाँ गये वो, दोस्त जो हरदम याद किया करते थे...,
जान - बुझकर न सही, मगर भूले से भी मेल किया करते थे...

खुशी और गम में हमारा साथ दिया करते थे...,
लगता है सब खो गया है ... प्रोजेक्ट्स की डेड्लाइन्स में...,
न अपनी न हमारी, जाने किसकी यादों में...,
ज़िन्दगी को भुला चुके हैं, नौकरी की आड में...,
हरदम फ़ँसे रहते है, अपने पी.एम. के जाल में...,
कभी आओ मिलो हमसे, बैठकर बाते करो...,
दर्द - ए- दिल अपना कहो, हाले - ए - दिल हमारा सुनो...,
क्या रंजिश, क्या है शिकवा, क्या गिला और क्या खता... ;
हम भी जाने तुम भी जानो, आखिर क्या मंज़र क्या माजरा...,

बस भी करो अब...
कह भी दो, अपने दिल का हाल,
क्या करोगे खामोश रहकर
जो चली गई ये ज़िन्दगी, चला गया ये कारवां...;
जागो प्यारे...! अब बस भी करो,
सिर्फ़ काम नही, थोडा ज़िन्दगी को भी महसूस करो...,
खाओ, पिओ, हँसो, गाओ, झूमों, नाचो, मौज करो...,
हकीकत में ना भले पर कम - से - कम ...

.. भूल से ही सही हमें याद तो करो...
हम तो हरदम देंगे यही दुआ आपको..
याद न भी करो तो क्या, चलो, एन्जॉय ही करो।

--अज्ञात