अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
वृक्ष हों भले खड़े,
हो घने, हो बड़े,
एक पत्र-छॉंह भी मॉंग मत, मॉंग मत, मॉंग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
ये महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत् रक्त से,
लथ पथ, लथ पथ, लथ पथ !
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
--हरिवंशराय बच्चन
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
4 वर्ष पहले
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